Makar sankranti पर निबन्ध कैसे लिखे?
Makar sankranti पर निबन्ध कैसे लिखे?
प्रस्तावना:Makar sankranti
Makar Sankranti,
जो हिन्दू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, इसे सूर्य के मौनी स्थान के परिवर्तन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है और इस दिन सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
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Makar sankranti की ऐतिहासिक जड़ें!
इस पर्व की ऐतिहासिक जड़ें बहुत गहरी हैं, जिसमें विभिन्न समुदायों और सांस्कृतिक समृद्धियों का संगम होता है। इसे ‘मकर संक्रांति’ कहा जाने का कारण इसका सीधा संबंध सूर्य देवता के गतिविधियों से है।
मकर संक्रांति की खासियत
भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर में विशेष है। इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि मकर संक्रांति, पोंगल (तमिलनाडु), उत्तरायण (गुजरात), भोगाली बिहु (असम), माघ बिहु (असम), मकर शंक्रांत (महाराष्ट्र), खिचड़ी (पश्चिम बंगाल), लोहड़ी (पंजाब), तिल संक्रांति (महाराष्ट्र), गणराज्योत्सव (कर्नाटक) आदि।
ज्योतिषीय महत्व
यहां तक कि इस पर्व को ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना विभिन्न धार्मिक क्रियाओं को महत्वपूर्ण बनाता है और लोग इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन लोग गंगा स्नान और दान करते हैं और विभिन्न राष्ट्रीय एवं लोकपर्वों को इस पर्व के रूप में मनाते हैं।
क्षेत्रीय उत्सव
क्षेत्र में इसे अपने-अपने तरीके से मनाने का अपना विशेष तरीका है, जिससे वहाँ की सांस्कृतिक धरोहर का पता चलता है। रीति-रिवाज़ भरे और रंग-बिरंगे त्योहार में आपको और आपके परिवार को खुदी का मौका मिलता है। इस अद्वितीय पर्व में खास तौर से बच्चों को खुदाई की कला और रंग-बिरंगे पतंग उड़ाने का आनंद मिलता है।
दान का महत्व
जो भारतीय सांस्कृतिक और परंपरागत मौसमी बदलाव का आदान-प्रदान करता है। इसे उत्तर भारतीय राज्यों में ‘लोहड़ी‘, ‘माघी’, ‘बीहू’ आदि नामों से भी जाना जाता है। इसे नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस मौके पर विभिन्न प्रांतों में लोग दान-पुण्य की महत्वपूर्णता को समझते हैं
महाभारत के अनुसार
महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है उत्सव के दिन लोग गंगा स्नान और दान करने के लिए तीर्थस्थलों पर जाते हैं। सूर्य की पूजा के साथ ही, खिचड़ी, तिल और गुड़ की मिठाई खाई जाती है, जो इस पर्व की खासियत है। इस दिन मकर संक्रांति के बाद चले गए वर्ष को समाप्ति के रूप में देखा जाता है और नये वर्ष की शुरुआत होती है।
उपसंहार
हमारे देश में एक विशेष प्रकार का महत्वपूर्ण और आनंदमय पर्व है जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को सूचित करता है। यह एक सामाजिक और धार्मिक उत्सव हजो देशभर में खुशियों का माहौल बनाता है और लोगों को एक साथ मिलकर आनंद लेने का अवसर देता है। मकर संक्रांति न केवल सूर्य के प्रति हमारी कृतज्ञता का परिचायक है,
Moral
इस दिन को समर्पित करके हम अपने आत्मविकास, सांस्कृतिक दृष्टिकोण, और सामाजिक साझेदारी में सुधार कर सकते हैं ताकि हम सभी मिलकर समृद्धि और सुख-शांति की दिशा में अग्रसर हो सकें।