Makar sankranti कब और क्यो मनाते हैं?
Makar sankranti कब और क्यो मनाते हैं?
Introduction: Makar sankranti
मकर संक्रांति एक हिन्दू त्योहार है जो सूर्य के गतिविधियों का उत्सव है। यह त्योहार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण में मकर राशि में प्रवेश करते हैं..!
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Makar sankranti का विषय क्या है?
मकर संक्रांति एक हिन्दू त्योहार है जो हिन्दी पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर आधारित है,जिसे हिन्दी कैलेंडर में मकर संक्रांति कहा जाता है।
मकर संक्रांति के पीछे क्या कहानी है?
जो हमारे देश में मकर संक्रांति के मौसम के प्रारंभ को संकेत करता है। यह पर्व सूर्य ग्रहण के दिन मनाया जाता है, जिसे ‘उत्तरायण’ कहा जाता है, जब सूर्य नया मकर (कुंभ राशि) में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति का इतिहास और महत्व है।
इस पर्व के पीछे एक रोचक कहानी है।
Makar sankranti का दूसरा नाम क्या है?
मकर संक्रांति का उत्तरायण में सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तर की दिशा में चलने लगता है और इस दिन के बाद सूर्य का उत्तर यात्रा शुरू होता है। इसे एक नए सौर मास की शुरुआत माना जाता है।मकर संक्रांति: का भगवान कौन है?
महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व है और इसे भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन सूर्य ग्रहण करके मकर राशि में प्रवेश करता है, और यह तिथि हिन्दू पंचांग में मकर संक्रांति के रूप में जानी जाती है।
Makar sankranti का धार्मिक महत्व क्या है?
हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को समर्थ है। यह पर्व हिन्दी पंचांग में मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है और सामान्यत: 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का मुख्य धार्मिक महत्व है सूर्य की ऊर्जा और शक्ति के प्रति आभार व्यक्त करना।
संक्रांति काल का अर्थ क्या है?
संक्रांति का शाब्दिक अर्थ होता है “संगति” या “परिवर्तन”। भारतीय हिन्दू पंचांग में, संक्रांति का समय सूर्य की गति के आधार पर निर्धारित होता है, जिसे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने का समय कहा जाता है। इस घड़ी में सूर्य ग्रहण करता है और राशि बदलती है, जिसे हिन्दी कैलेंडर में “संक्रांति” कहा जाता है।
मकर संक्रांति में काला क्यों पहनते हैं?
काला पहनने का प्राचीन रीति-रिवाज है जो भारतीय सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ा हुआ है। इस दिन, सूर्य ग्रहण से बाहर निकलकर उत्तरायण में प्रवृत्ति करता है और दिन का समय लम्बा होने लगता है, जिससे दिन के लंबे होने के कारण ठंडक बढ़ती है।
14 जनवरी को मकर संक्रांति क्यों पड़ती है?
14 जनवरी को पड़ती है क्योंकि यह एक हिन्दी पंचांग में मकर राशि का सूर्य स्थिति का दिन होता है। इसे हिन्दी कैलेंडर में सौरमान पर्वों के रूप में भी जाना जाता है। मकर संक्रांति का मतलब है ‘मकर राशि में प्रवेश’। इस दिन सूर्य उत्तरायणी गति से दक्षिणायनी गति में परिवर्तित होता है!
मकर संक्रांति विश कैसे करें?
त्योहार हिन्दुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और इसे विभिन्न प्रांतों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। यहां कुछ सामान्य रूप से मनाए जाने वाले रीतिवाले कदम दिए जा रहे हैं विशेष रूप से बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाना चाहिए। यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है!
Makar sankranti का नाम कैसे पड़ा?
नाम विशेषकर उत्तर भारतीय क्षेत्र में हिंदी पंचांग के अनुसार पड़ता है। इसे ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य ग्रह मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करता है। यह दिन सूर्य का उत्तरायण होता है, जिससे दिन का समय बढ़ना शुरू होता है और रात्रि का समय कम होने लगता है।
Moral
आपके जीवन में समृद्धि और खुशियाँ लाए, और आपकी मेहनत का सफलता मिले। इस शुभ अवसर पर, आपके जीवन को रौंगतों से भर देने की कामना करता हूँ। मकर संक्रांति की आपको ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!